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खंजर

हम ढूंढ़ते रहे, 
अपने दुश्मनो को, 
खुद से कही दूर दराज में
और जब पीठ में खंजर लगा,
तो देखा
पीछे वही खड़े थे
जो हमेशा से थे, 
मेरे आस-पास में।

1 comment:

  1. wah wah , bhaut khub .aaj ki yahi hakikat hai mere bhai.

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