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मंदिर-मस्जिद

मंदिर-मस्जिद के लिए, 
हम अपनी इंसानियत भूल जाते है
भगवान और अल्लाह के नाम पर, 
दंगे करवाते है
ऐसा कर कैसे, 
हम अपने ख़ुदा को पाते है
शायद हमें पता नहीं, 
लेकिन ऐसा कर हम अपने, 
भगवान और अल्लाह का मजाक उड़ाते है
कुछ लोगों के राजनीति के चलते, 
हम एक होके भी, 
एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते है
वो अपने फायदे के लिए, 
हमें आपस में लड़वाते है
हमारे बीच नफ़रत देख, 
हमारे ख़ुदा भी दुखी हो जाते है
शायद हमें पता नहीं, 
लेकिन ऐसा कर हम अपने, 
भगवान और अल्लाह का मजाक उड़ाते है।

1 comment:

  1. good one but keep trying. INSANIYAT title is better one than this title.u r going in learning phase so i must say keep trying.

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