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बेइज़्ज़त

मुँह में रहे तेरे, 
हमेशा गुटका और पान
शायद इसलिए तू, 
रहता है चुप
और चलता है बस, 
तेरे चमचों का जुबान
होगा तेरा, 
बड़ा खानदान 
लेकिन बस, 
पैसों के मामले में
अकल तेरा लगता है, 
गया है घास चरने
बता तूने क्या-क्या किया, 
अपने बीते चार साल में
खुद से कभी पूछा क्या जनता से, 
उन्हे क्या दिक्कत है
तू तो समझता है, 
तेरी बहुत इज़्ज़त है
कभी जनता के बीच आके देख
तेरा नाम हर जगह
बेइज़्ज़त है।

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