बचपन में जिस हाथ ने,
हमें पकड़कर चलना सिखाया होता है
बुढ़ापे में उस हाथ को,
हमारे सहारे की जरूरत होती है
लेकिन इस बात को हम,
क्यों नहीं समझ पाते है
जो हमारे खुशी के लिए,
कुछ भी करने को तैयार हो जाते है
जिनके ज़िन्दगी का मकसद,
बस हमारे चेहरे पर,
खुशी देखना होता है
लेकिन जब हमारी बारी आती है,
तो हम उन्हें खुश,
क्यों नहीं रख पाते है
बुढ़ापे में उन्हें हमारे पैसों की नहीं,
हमारे साथ की जरूरत होती है
लेकिन इस बात को हम,
क्यों नहीं समझ पाते है
बचपन में जिस हाथ ने,
हमें पकड़कर चलना सिखाया होता है
बुढ़ापे में उस हाथ को,
हमारे सहारे की जरूरत होती है
लेकिन इस बात को हम,
क्यों नहीं समझ पाते है।
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